Monday, September 12, 2016

क्षतिकारक

हर दिन यू रोते हैं,
ये आंसू भी नहीं रुकते हैं,
अपनी किस्मत से ये पूछते हैं,
जो दिल दे बैठा जगह आपको,
क्या सज़ा प्यार की सहते हैं I

हर दिन अब उठ कर फिर मरते हैं,

डराते हैं फिर क्या देखेंगे,
जीने मे या मरने मे,
कोई तमन्ना या गम नहीं,
बस अब दिन गिनते हैं I

मगर अब दिल थक गया हैं,

टूट गया हैं ये भ्रम,
अब आंखें खामोश नहीं होती,
जो सोचा न था कभी,
उस मोड़ पर गाड़ी रुक गयी I

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