Friday, August 21, 2015

अफ़साना....

कहानियां जो अधूरी थी,
एक राजा और इक सितारे की,
ढुँढती थी आँखें, सहमी सी सांसे,
देखते थे दोनो चाँद को, ढुँढते थे अपने आप को। 

टकरार हुई एक बार, ठहर गई वो रात,
हुई दिलों की बात, मिले जब दो दिलदार,
उड़ती हुई मुलाकातें, जब कटती थी वो रातें,
धीमे धीमे से शब्द, बोलती थी साँसे। 

दिल के इकरार होते थे,गुफ्तगू और सुहानी,
होती थी तमन्ना, चमकते थे इरादे,
छूने की चाह थी,चूमती थी वो रातें,
ऐसी दिन थे वो ,उस्से भी प्यारी रातें। 

ऐसा अहसास क्यों हैं,की आप यहीं हो,
साँसे चल रहीं हैं,दूंद रही हैं आँखें। 






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